तुम्हारा सामान्य होना स्वीकार नहीं

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तुम्हारा सामान्य होना स्वीकार नही 
असामान्य दिखना जायज नही

अतित की पुंजी से भविष्य की राह चलना
ये सरलता संसार को मंजुर नही.

बदलाव जीवन का अहम हिस्सा है
लेकीन नियत बदलना मंजुर नही

विद्रोह करना जायज है
पाखंडता हमे मंजुर नही

विरासत तुम्हे सौंप रहा हू 
इसीलिये 
तुम्हारा सामान्य होना स्वीकार नही 
और असामान्य दिखना जायज नही!

_ वी RAJÉ
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