अनकही बातें

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कुछ वक्त इश्क़ की रातें है, 
कुछ वसंत ऋतु की बातें है, 
कुछ अनकहे जज़्बातों की, 
कितनी बाकी मुलाकातें हैं।

कुछ रंगीन से उन लम्हों में, 
कुछ सदाबहार सी यादें हैं, 
कुछ चांद तारों की रौशनी में, 
तेरे संग खोना फिर बाकी हैं।

कुछ बदलते हुए उस मौसम में 
कुछ बारिशों की दास्तान ताज़ी है,
कुछ रुके हुए इस संसार में, 
साथ जीना अभी बाकी है।

- आग्या जैन..
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